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ऑगस्ट, २०२१ पासूनच्या पोेस्ट दाखवत आहे

After HSC admission

 💐 *HSC नंतर ऍडमिशन साठी 👇 महत्वाची माहिती* 💐 -----------------------------------------------------------  *मेडीकल प्रवेशासाठी लागणारी कागदपत्रे* ----------------------------------------------------------- 1) *नीट* आँनलाईन *फाँर्म* प्रिंट 2) *नीटप्रवेश* पत्र  3) *नीट मार्क* लिस्ट 4)10 वी चा मार्क मेमो 5)10 वी सनद 6) 12वी मार्क मेमो 7) नँशनँलीटी सर्टीफिकेट 8 रहिवाशी प्रमाणपत्र 9)12 वी टी सी 10) मेडिकल सर्टिफिकेट फिटनेस 11) आधार कार्ड 12) उत्पन्न प्रमाणपत्र किंवा फाँर्म नं 16 वडिलांचा 13) मुलाचे राष्ट्रीय बँकेतील खाते 14) मुलाचे तसेच आई व वडिलांचे दोघांचे पँन कार्ड मागासवर्गीयांसाठीवरील सर्व व खालील प्रमाणपत्रे 1) जातीचे प्रमाणपत्र 2) जात वैधता प्रमाणपत्र 3) नाँन क्रिमीलीयर प्रमाणपत्र  ( मागील काढलेले असेल तर 31 मार्च2021 पर्यत लागू) --------------------------------------------------------- कृपया वरील कागदपत्रे अपुर्ण असतील तर त्वरीत पुर्ण करून घ्यावे. ----------------------------------------------------------- 👉 *इंजिनीअरिंग प्रवेशासाठी लागणारी कागदपत्रे* --------...
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    होम     संस्कृति   भारतीय परम्पराओं का पर्यावरण संरक्षण से नाता पुराना है... lokendra777 Updated: 05 जून, 2016 04:54 PM 05 जून, 2016 04:54 PM     प्राचीन काल से ही भारत में प्रकृति के साथ संतुलन करके चलने का महत्वपूर्ण संस्कार है. यदि ये परंपराएं न होतीं तो भारत की स्थिति भी गहरे संकट के किनारे खड़े किसी पश्चिमी देश की तरह होती. भौतिक विकास के पीछे दौड़ रही दुनिया ने आज जरा ठहरकर सांस ली तो उसे अहसास हुआ कि चमक-धमक के फेर में क्या कीमत चुकाई जा रही है. आज ऐसा कोई देश नहीं है जो पर्यावरण संकट पर मंथन नहीं कर रहा हो. भारत भी चिंतित है. लेकिन, जहां दूसरे देश भौतिक चकाचौंध के लिए अपना सबकुछ लुटा चुके हैं, वहीं भारत के पास आज भी बहुत कुछ है. पश्चिम के देशों ने प्रकृति को हद से ज्यादा नुकसान पहुंचाया है. पेड़ काटकर जंगल के कांक्रीट खड़े करते समय उन्हें अंदाजा नहीं था कि इसके क्या गंभीर परिणाम होंगे? प्रकृति को नुकसान पहुंचाने से रोकने के लिए पश्चिम में मजबूत परंपराएं भी नहीं थीं. प्रकृति संरक्षण का कोई संस्कार अखण्ड भारतभूमि को छोड़कर अन्यत्र देखने में न...